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Narazgi Shayari
कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है
Kumar Vishwas
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तेरी रंजिश खुली तर्जे़ बयां से
न थी दिल में, तो क्यों निकली ज़बाँ से
Dagh Dehlvi
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दो दफ़ा ग़ुस्सा हुए वो एक ग़लती पर मेरी
रात की रोटी सवेरे काम में लाई गई
Tanoj Dadhich
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किसी ने कहा था टूटी हुई नाव में चलो
दरिया के साथ आप की रंजिश फ़ुज़ूल है
Shahid Zaqi
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मेरा ग़ुस्सा है मेरी शाइरी में
तरन्नुम में कहाँ अच्छा लगेगा
Tanoj Dadhich
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उसको नम्बर देके मेरी और उलझन बढ़ गई
फोन की घंटी बजी और दिल की धड़कन बढ़ गई
Ana Qasmi
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उम्र भर मेरी उदासी के लिए काफ़ी है
जो सबब मेरी ख़मोशी के लिए काफ़ी है
जान दे देंगे अगर आप कहेंगे हमसे
जान देना ही मुआफ़ी के लिए काफ़ी है
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Aakash Giri
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जो गुस्सा आ गया तो क्या ही कर लेंगे
ज़ुबाँ ये मेरी गाली भी नहीं देती
Irshad Siddique "Shibu"
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बेकार मेरा ग़ुस्सा कुछ काम का नहीं है
बाहों में भर ले गर वो सब भूल जाता हूँ मैं
Prashant Beybaar
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मेरी बेचैनी का आलम मेरी बेचैनी से पूछो
मेरे चहरे से पूछोगे कहेगा ठीक है सब कुछ
Aqib khan
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तेरी संगत का अफ़ज़ल असर है के वो
मुस्कुराता है जब भी ख़फा़ रहता है
S M Afzal Imam
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तू जो हमेशा ही औरों को पुकारता है
तुझको ख़बर है तू मुझको कितना मारता है
तुझको तो चाहिए तू सब कुछ उतार दे पर
तू मेरे सामने बस गुस्सा उतारता है
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Kinshu Sinha
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पहले तो आया गुस्सा ख़ुद पे मगर
बाद में ख़ुद पे टुक तरस आया
आँखे तो करने वाली थी बारिश
पर कोई अब्र सा बरस आया
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Prince
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कमा कर पैसा तो दफ़्तर से लाते हो
मोहब्बत ये कहाँ पे छोड़ आते हो
न कुछ घर चेहरे पे मुस्की ही लाया कर
ये गुस्सा दफ़्तरों का क्यूँ ले आते हो
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Irshad Siddique "Shibu"
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छोटी है मुझसे मुझपर गुस्सा करती है
जैसे कोई रानी राजा पर मरती है
Jasmeet singh 'Meet'
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चेहरा धुँदला सा था और सुनहरे झुमके थे
बादल ने कानों में चाँद के टुकड़े पहने थे
इक दूजे को खोने से हम इतना डरते थे
ग़ुस्सा भी होते तो बातें करते रहते थे
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Vikram Gaur Vairagi
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मैं अकेला तो नहीं हूँ इस सफ़र में ज़िन्दगी
ख़्वाब, ज़िम्मेदारी, उलझन साथ चलते हैं मिरे
Meem Alif Shaz
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ग़ुस्सा माँ का इक बच्चा जितना सह सकता है
कोई तुमसे भी उतना ग़ुस्सा रह सकता है
आँखें तुम्हारी उकसाती हैं बातें करने को
वरना कौन तुम्हारे आगे क्या कह सकता है
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Sandeep dabral 'sendy'
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तुझ से बेज़ार किसे हो पाना है
इससे आसाँ तो फिर मर जाना है
Lekhak Suyash
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साथ में होकर भी तन्हा थे हम दोनों
कुछ इस तरह से ग़ुस्सा थे हम दोनों
आज जो आँखें सूख गई हैं हमारी
एक समय पहले दरिया थे हम दोनों
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Jitendra yadav "chambal"
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