हमीं से बात करते हो हमीं से रूठ जाते हो
मनाना है तुम्हें मुश्किल हमें क्यों यूँ सताते हो
ख़फ़ा हो कर हमीं से तुम हमीं को क्यों बताते हो
ये करके तो हमें जैसे सताते हो जलाते हो
न आएँगे इधर हम अब न ये सूरत दिखाएँगे
यही कहकर हमें हर चंद हर दिन क्यों डराते हो
हमारा दिल तुम्हारा है हमारी जाँ तुम्हारी है
पता है सब तुम्हें फिर क्यों न जानो यूँ जताते हो
हमें मंज़िल मिली हो तुम तुम्हें क्यों हम सताएँगे
मुसाफ़िर हैं तुम्हारे हम हमीं से दूर जाते हो
इनायत है ख़ुदा की ये हमें तुमसे मिलाता है
किया उसने मगर तुम ये करम अपना बताते हो
कभी जो प्यार होता है अजब ये हाल होता है
कभी ख़ुद ही हँसाते हो कभी ख़ुद ही रुलाते हो
कहाँ मिलना हुआ था तय हमीं को याद रहता है
न आते हो हमें मिलने हमें तो भूल जाते हो
ख़फ़ा हमसे हुए हो तो हमीं से पूछ लेते तुम
कहानी और कुछ ही है उन्हें क्यों बीच लाते हो
करे 'तोयेश' तो हम क्या करें ये सोचते ही हैं
इधर चेहरे से अपने तुम लटें सहसा हटाते हो
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