तारों की उतरती है डोली और चाँदनी दुल्हन होती है
जिस रात में दो दिल मिलते हैं वो रात सुहागन होती है
जब दिल से दिल मिल जाते हैं तो क्या क्या गुल खिल जाते हैं
कुछ ग़ैर गले लग जाते हैं कुछ अपनों से अन-बन होती है
जलते हैं जहाँ वाले लो जलें हम राह-ए-वफ़ा में साथ चलें
दुनिया को छोड़ो दुनिया तो दिल वालों की दुश्मन होती है
सूरत मिरी आँखों में देखो क्या देख रहे हो आईना
जिस आँख में कोई बस जाए वो आँख भी दर्पन होती है
बस उन के लिए ही रात और दिन दिल मेरा धड़कता है लेकिन
जब सामने वो आ जाते हैं तेज़ और भी धड़कन होती है
तुम बिन ये बहारों का मौसम लगता है मुझे पतझड़ की तरह
तुम साथ रहो तो हर इक रुत मेरे लिए सावन होती है
तस्वीर हो तेरी जब दिल में ग़म दिल के क़रीब आए कैसे
मैं याद तुझे कर लेता हूँ जब कोई भी उलझन हुई है
निखरे तो बने इक ताज-महल फैले तो ख़ुश्बू और ग़ज़ल
लेकिन जो सिमटती है चाहत महबूब का दामन होती है
Read Full