कमाने वालों की यारों कमाई छूट जाती है
मुहब्बत सिर चढ़े तो फिर पढ़ाई छूट जाती है
बड़े रिश्ते, मुहब्बत, दोस्ती देखी ज़माने में
ज़रा सी बात पर अब तो कलाई छूट जाती है
इकाई की जगह तुम हो दहाई की जगह दुनिया
इकाई याद रहती है दहाई छूट जाती है
वतन में मुफ़लिसी है, चाहे डिजिटल हो गए हों हम
अभी पैसे की किल्लत से दवाई छूट जाती है
मुसलसल काम ही है फार्मूला कामयाबी का
मुसलसल दूध मथने पर मलाई छूट जाती है
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