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कमाने वालों की यारों कमाई छूट जाती है - Atul Maurya

कमाने वालों की यारों कमाई छूट जाती है
मुहब्बत सिर चढ़े तो फिर पढ़ाई छूट जाती है

बड़े रिश्ते, मुहब्बत, दोस्ती देखी ज़माने में
ज़रा सी बात पर अब तो कलाई छूट जाती है

इकाई की जगह तुम हो दहाई की जगह दुनिया
इकाई याद रहती है दहाई छूट जाती है

वतन में मुफ़लिसी है, चाहे डिजिटल हो गए हों हम
अभी पैसे की किल्लत से दवाई छूट जाती है

मुसलसल काम ही है फार्मूला कामयाबी का
मुसलसल दूध मथने पर मलाई छूट जाती है

- Atul Maurya

Muflisi Shayari

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