Shiv Sagar

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@bsh633488

Shiv Sagar shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Shiv Sagar's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Ghazal
जी रहे अब तक तुम्हारी याद दिल में थाम के
मसअले अपने रहे क्या हैं सिवा इस काम के

बे-वफ़ाई पर हमें कुछ बोलने का हक़ नहीं
प्यार हमने भी नकारे हैं कई गुमनाम के

सोचते थे इंतज़ारी में कटेगी उम्र सब
आ गई हो तो सताते हैं हकीक़त काम के

उल्फ़ते - नौ के फ़सानों से मुतासिर हम नहीं
जानते हैं राज़ हम आग़ाज़ और अंजाम के

ग़मज़दा तो हूँ बिछड़ने पर मगर ये है सुकूँ
कम से कम अब हैं मयस्सर चंद पल आराम के

इस क़दर भी क्या मोहब्बत है हमें तुझसे सखा
मुद्दतें गुज़रीं मगर ग़म साथ तेरे नाम के

इन हिजाबों की वजह से हुस्न का हम जायज़ा
ले रहे आँखों पे उसके आँख दो पल थाम के

मर गए लेकिन अभी भी आरज़ू है वस्ल की
कब्र से मेरे उठें नगमें तुम्हारे नाम के 
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आज हम वो आदमी हैं जो न होना चाहते थे
काम हम वो कर रहे जिनको कभी दुत्कारते थे

आदमी वो ही बड़े हैं जो बहस में मात खाकर
त्यागते हैं उस नज़रिये को जिसे वो मानते थे

मशवरे लेना महज़ नाटक हुआ इंसानियत का
लोग सुनते हैं वही जो बात सुनना चाहते थे

खुशनुमा माहौल मुझको इस क़दर क्यूं खल रहा है
राज़दां थे ग़म हमारे हाल वो ही पूछते थे

दूसरों के आशियाने देख मैं ये सोचता हूं
ख्वाब में ऐसे बसेरों में खुदी को देखते थे

क्या ज़रूरत थी तुम्हें मुंह पे दुपट्टा डालने की
सैकड़ों नकली मुखौटों से शकल जो ढांपते थे 

हैसियत की फ़िक्र में जीना भुला डाला सभी ने
बे - तकल्लुफ लोग ही बस ज़िन्दगी को जानते थे

काम के कारण मुकर्रर वक्त रोने का किया है
मुफलिसी के वक्त जब भी मन करे रो डालते थे
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