Elizabeth Kurian Mona

Elizabeth Kurian Mona

@elizabeth-kurian-mona

Elizabeth Kurian Mona shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Elizabeth Kurian Mona's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Nazm
डूबने वाले को तिनके का सहारा है बहुत
रात तारीक सही एक सितारा है बहुत

दर्द उठता है जिगर में किसी तूफ़ाँ की तरह
तब तिरी यादों के दामन का किनारा है बहुत

ज़ुल्म जिस ने किए वो शख़्स बना है मुंसिफ़
ज़ुल्म पर ज़ुल्म ने मज़लूम को मारा है बहुत

राह दुश्वार है पग पग पे हैं काँटे लेकिन
राह-रौ के लिए मंज़िल का इशारा है बहुत

उस को पाने की तमन्ना ही रही जीवन भर
दूर से हम ने मसर्रत को निहारा है बहुत

फ़ासले बढ़ते गए उम्र भी ढलती ही गई
वस्ल का ख़्वाब लिए वक़्त गुज़ारा है बहुत

होंट ख़ामोश थे इक आह भी हम भर न सके
बारहा दिल ने मगर तुम को पुकारा है बहुत

झूटी तारीफ़ से लगता है बहुत डर 'मोना'
मीठी बातों ने ही शीशे में उतारा है बहुत
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Elizabeth Kurian Mona
दामन तेरा मुझ से छूटा मिलने के हालात नहीं
लेकिन तुझ को भूल सकूँ मैं ऐसी भी तो बात नहीं

बदले बदले से लगते हैं आज ये तेरे तेवर क्यूँ
पहले जैसे क्यूँ अब तेरे प्यार के वो जज़्बात नहीं

मेरे हाथ की सारी लकीरें उलझी उलझी लाख सही
उन में मुझ को तू मिल जाए होगी मेरी मात नहीं

तुम से बिछड़े अर्सा बीता फिर भी अक्स है आँखों में
आए न हो तुम ख़्वाबों में जो ऐसी कोई रात नहीं

ख़ुश-क़िस्मत हैं लोग वो जिन को प्यार के बदले प्यार मिला
इस दुनिया में हर इंसाँ को हासिल ये सौग़ात नहीं

जाते जाते ग़म की दौलत तुम ने भर दी झोली में
अब ये ज़ीस्त का सरमाया है मा'मूली ख़ैरात नहीं

दर्द-भरी है याद-ए-माज़ी फिर भी बस जी लेते हैं
हम ने जाना हर मंडप में आती है बारात नहीं

चाहे बहार का मौसम हो या वस्ल का कोई आलम हो
बीत गए जो फिर से वापस आते वो लम्हात नहीं

जब जब तुम याद आए 'मोना' भर आईं मेरी आँखें
आग लगाए दिल में आँसू ये कोई बरसात नहीं
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Elizabeth Kurian Mona
जग में आता है हर बशर तन्हा
लौट जाता है फिर किधर तन्हा

कुछ दुआ भी तो हो मरीज़ के नाम
कब दवा का हुआ असर तन्हा

मुद्दतों ख़ुद को ही तराशा है
सीप में रह के इक गुहर तन्हा

उम्र-भर सब के काम आया जो
रो पड़ा ख़ुद को देख कर तन्हा

सब मसर्रत में साथ देते हैं
ग़म उठाएँगे हम मगर तन्हा

तर्क उल्फ़त जो उस ने की हम से
थामते हम रहे जिगर तन्हा

छाँव में बैठ कर गए हैं सभी
रह गया फिर से इक शजर तन्हा

कहकशाँ भी है और तारे भी
चाँद आता है क्यूँ नज़र तन्हा

यादों के कारवाँ मिले हम से
ख़ुद को समझे थे हम जिधर तन्हा

चार पल वस्ल के जो बीत गए
ख़ुद को पाया है किस क़दर तन्हा

बीच अपनों के रह के भी 'मोना'
ज़िंदगी हम ने की बसर तन्हा
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