रहता है ये मेरा दिल नाशाद कई दिनों से
करता जाता हूँ ख़ुदको बर्बाद कई दिनों से
थोड़ा-थोड़ा कर के मैं रोज़ाना होता हूँ ख़त्म
खाती है रोज़ाना तेरी याद कई दिनों से
मेरे और दुःख के इतने गहरे इस रिश्ते को देख
पैहम रोता जाता है अवसाद कई दिनों से!
मैंने ख़ुदको एक ज़माने तक रक्खा ख़ुद में क़ैद
करता हूँ "मैं" को ख़ुद से आज़ाद कई दिनों से
ख़ुद ही लेने वाला हूँ मैं किसी दिन अपनी जान
मेरा मुझ से ही है एक इनाद कई दिनों से
मेरी नज़्मों मेरी ग़ज़लों मेरे इन ख़्यालों पर
तुझ से मिलती ही नहीं कोई दाद कई दिनों से
ऐसा भी नहीं है कि हम को कोई ग़म नहीं है अब
ऐसा भी नहीं हो कोई फ़रियाद कई दिनों से
एक ज़माने से जाग रही थी ये आँखें 'जाज़िब'
आती है अब नींद ज़माने बाद कई दिनों से
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