हमारी ज़र्फ़ को आख़िर के ऐसा क्या हुआ देखें
क़यामत है कि गुलशन को कभी उजड़ा हुआ देखें
घड़ी भर भी हमारा दिल नहीं लगता है फ़ुर्क़त में
तुम्हें कैसे भला हम ग़ैर का होता हुआ देखें
तमन्ना थी तुम्हारी ज़ुल्फ़ में हम टाँक दे तारे
भला हम किस नज़र से तुमको ग़म खाता हुआ देखें
जो अक्सर कहते रहते हैं ज़माना है नहीं अच्छा
उन्हीं के साये में हम अपना दम घुटता हुआ देखें
तुम्हारा ग़ैर की बाँहों में जाना इक क़यामत है
मेरी नज़रों को अरमाँ है तुम्हें अपना हुआ देखें
हमारे हौसले को दाद दो ये आरज़ू है अब
चराग़ों को सरे तूफ़ान भी जलता हुआ देखें
सितारे झिलमिलाए आसमाँ पर कुछ नहीं ग़म है
कभी हम चाँद का चेहरा नहीं उतरा हुआ देखें
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