ये तुम्हारी जो चमक है वो हमारी रौशनी है
ये जो सूरत है तुम्हारी वो हमारी शाइरी है
मेरे घरवाले यही कहते हैं दुबले हो रहे हो
उनको अब कैसे बताऊँ याद उसकी खा रही है
ये शिकायत मुझको ख़ुद से है जो तेरी बात मानी
हाँ तभी तो आज मेरे पास इतनी मुफ़्लिसी है
उसकी मर्ज़ी के मुख़ालिफ़ जा रहा था मैं तभी तो
चुप रहूँ मैं ये क़सम मुझको खिलाई जा रही है
सच छुपा लूँ झूट बोलूँ बोल और क्या क्या करूँ मैं
तू सभी गुण अपने मुझको भी सिखाना चाहती है
जिसको जाना था वो कब का जा चुका है ख़ुश रहो तुम
सोच कर उसको ये तुम में फ़ालतू की तिश्नगी है
इश्क़ में जो पड़ गया वो तो गया फिर सोच लेना
इश्क़ में ये बे-दिली का होना सच्ची आशिक़ी है
Read Full