यूॅं ही हैरान-ओ-परेशान तिरे कूचे में
हम रहे कुछ दिनों मेहमान तिरे कूचे में
पाया जाता हूॅं मैं बे-जान तिरे कूचे में
जान निकले न मिरी जान तिरे कूचे में
आते जाते हुए लोगों पे नज़र रखते हैं
एक से एक हैं दरबान तिरे कूचे में
हम तिरे नाम से बदनाम रहे हैं हर-सू
बस यही काम है आसान तिरे कूचे में
हर कोई घूरता रहता है ब-अंदाज़-ए-दिगर
यही तो होता है नुक़सान तिरे कूचे में
क़ैस-ओ-फ़रहाद के अल्क़ाब मिले हैं अक्सर
ख़ूब मिलते हैं ये सम्मान तिरे कूचे में
सोचता हूॅं कि मोहब्बत में लगाऊँ नारा
कर दूँ मैं इश्क़ का ऐलान तिरे कूचे में
कैसे कैसों से निभाने पड़े रिश्ते शादाब
कैसे कैसों से है पहचान तिरे कूचे में
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