सितम का देखना ऐसे जवाब आएगा
लहू से क़ैस तेरे इंक़लाब आएगा
ज़माना देखेगा हैरत भरी निगाहों से
लबों पे आपके गर "जी" "जनाब" आएगा
दिलासा बच्चों को माँ दे रही है ईद के दिन
तुम्हारे वास्ते जन्नत से ख़्वाब आएगा
असीर-ए-इश्क़ ये हो जायेंगें तमाम जवाँ
वो बज़्म-ए-इश्क़ में गर बे-हिजाब आएगा
लिखा है उसने लहू से ये ख़त के आख़िर में
यक़ीन हैं मुझे ख़त का जवाब आएगा
जो ज़ुल्म तुमने मोहब्बत में ढाए हैं मुझपर
तमाम ज़ुल्मों का तुम पर अज़ाब आएगा
लहू गिरेगा तेरी आँख से जिसे पढ़कर
किताब-ए-इश्क़ में इक ऐसा बाब आएगा
क़सम ख़ुदा की मैं आँखों को नोच डालूँगा
अगर अब इनमे मोहब्बत का ख़्वाब आएगा
दुआ को हाथ उठायेंगे हज़रत-ए-यूसुफ़
पलट के तुम पे ज़ुलेख़ा शबाब आएगा
चमन में तितलियाँ यूँ महव-ए-गुफ़्तुगू हैं 'शजर'
गुलाब लेने को ख़ुद इक गुलाब आएगा
Read Full