0

ज़रा सुकून भी सहरा के प्यार ने न दिया  - Ahmad Ziya

ज़रा सुकून भी सहरा के प्यार ने न दिया
मुसाफ़िरों को हवा ने पुकारने न दिया

तुझे भी दे न सके चैन वो गुलाब के फूल
मुझे भी इज़्न-ए-तबस्सुम बहार ने न दिया

न जाने कितने मराहिल के ब'अद पाया था
वो एक लम्हा जो तू ने गुज़ारने न दिया

कहाँ गए वो जो आबाद थे ख़राबे में
पता किसी का दिल-ए-बे-क़रार ने न दिया

मैं आप-अपने लिए दुश्मनों से बढ़ कर था
'ज़िया' ये दिल था मिरा जिस ने हारने न दिया

- Ahmad Ziya

Miscellaneous Shayari

Our suggestion based on your choice

More by Ahmad Ziya

As you were reading Shayari by Ahmad Ziya

Similar Writers

our suggestion based on Ahmad Ziya

Similar Moods

As you were reading Miscellaneous Shayari