बाप दादों की निभाता है रिवायत बेटा
हम से हर काम की लेता है इजाज़त बेटा
ख़ुश-नसीबी है कि कुछ सीख गया कम से कम
कुछ न कर पाया तो कर लेगा मोहब्बत बेटा
अब इसे रक्खो सँभाले या करो ख़ाक इसे
सौंप कर हम तो चले तुम को विरासत बेटा
जाने किस सम्त से आई है हवा ये ऐसी
बाप से रखने लगा खुल के अदावत बेटा
सिर्फ़ बेटी ही नहीं करता अता वो सबको
लोग पाते हैं ख़ुदा की ही बदौलत बेटा
काट देता है बुज़ुर्गों की हर इक बात को वो
जाने क्या सीखा पढ़ा जा के विलायत बेटा
इस से अच्छी तो तवाएफ़ हैं हर इक कोठे पर
आज कल मुल्क में जैसी है सियासत बेटा
बाद मरने के मेरे किस से कहोगे दिल की
जितनी करनी है अभी कर लो शिकायत बेटा
सब के माँ बाप की साहिल ये रही है ख़्वाहिश
चाहे जैसा हो रहे शाद-ओ-सलामत बेटा
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