कितने अच्छे थे मिरे दिल को दुखाने वाले
कितने सच्चे थे मुझे झूठ बताने वाले
कितने मासूम हैं नज़रों को बचाने वाले
आज कल वो कहाँ हैं आँख दिखाने वाले
धूप में बैठ मुझे रोज़ हँसाने वाले
अब कहाँ हैं वो मिरे बाल घुमाने वाले
कितने प्यारे थे वो हाथों से खिलाने वाले
अब कहाँ हैं वो मुझे ज़हर पिलाने वाले
अब कहाँ हैं मिरी तस्वीर जलाने वाले
अब कहाँ हैं वो मुझे छोड़ के जाने वाले
अपने होंठों की तबस्सुम से क़यामत ढा दी
अब कहाँ हैं वो समुंदर को डुबाने वाले
ढूँढते फिर रहे हैं नाम मिरा क़ब्रों पर
जो थे हाथों से मिरा नाम मिटाने वाले
जो तिरे नाम से रोता है उसे ही 'आतिफ़'
अब ये तुझ से जुदा करते हैं ज़माने वाले
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