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जो तिरा हसरत है मिलने का उसे तू छोड़ दे - Devraj Sahu

जो तिरा हसरत है मिलने का उसे तू छोड़ दे
घोट दे जज़्बात सारे जो घुटन कर तोड़ दे

अब तो तेरा अश्क भी नकली लगा था रो ले तू
रास्ता जो तू चुना अब भी समय है मोड़ दे

औ दिलों में गर चुभन होंगे न मिलने के तिरे
तो तसव्वुर से खुशी लाकर तु गम को छोड़ दे

ये फरेबी जाल ज्यादा टिक नहीं सकती सनम
दिल के टुकड़े जो पड़े बिखरे हो तो जा जोड़ दे

औ पता कर 'देव' कैसे करता था उन दिनों बसर
क्यु की वो रातों को अक्सर हर कहानी मोड़ दे

- Devraj Sahu

Raasta Shayari

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