जो तिरा हसरत है मिलने का उसे तू छोड़ दे
घोट दे जज़्बात सारे जो घुटन कर तोड़ दे
अब तो तेरा अश्क भी नकली लगा था रो ले तू
रास्ता जो तू चुना अब भी समय है मोड़ दे
औ दिलों में गर चुभन होंगे न मिलने के तिरे
तो तसव्वुर से खुशी लाकर तु गम को छोड़ दे
ये फरेबी जाल ज्यादा टिक नहीं सकती सनम
दिल के टुकड़े जो पड़े बिखरे हो तो जा जोड़ दे
औ पता कर 'देव' कैसे करता था उन दिनों बसर
क्यु की वो रातों को अक्सर हर कहानी मोड़ दे
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