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तेरी तबस्सुम के तरन्नुम में न खो जाऊं कहीं - Devraj Sahu

तेरी तबस्सुम के तरन्नुम में न खो जाऊं कहीं
अब इश्क के सच्चे तलातुम में न खो जाऊं कहीं

देखा ना था तेरा कभी मायूस चेहरा मैं कभी
दिखला दिया तो मैं तरह्हुम में न खो जाऊं कहीं

औ कुछ भी ऐसा बात मत ही छेड़ना मेरी बला
के मैं तिरे माथे की कुम कुम में न खो जाऊं कहीं

तेरे ना होने पर कभी कल में न खो जाऊं कहीं
तुझ से जुदा के वक्त अब ख़ुम में न खो जाऊं कहीं

रूठे थे ये प्यारे शम्अ जाने के उसके बाद ही
अब खुद के चिट्ठी के तकल्लुम में न खो जाऊं कहीं

- Devraj Sahu

Mayoosi Shayari

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