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तिरा तो यार है जो मुझ को खाता है - Devraj Sahu

तिरा तो यार है जो मुझ को खाता है
तिरा तो ध्यान ही मुझको रुलाता है

तू कह तो छोड़ दू दो पल अकेला ही
जो ढलती शाम है उसको उगाता है

तू नखरें कर बहाने तो बनाता है
न जाने दिल तुझे क्यों झेल जाता है

हाँ देखा हुस्न वालों को तुने भी है
तिरा बेचैन ही हरदम सताता है

तू सुनते सुन तो मेरा भी तो सुनता था
तो अब हर बार तू ही तू सुनाता है

- Devraj Sahu

Husn Shayari

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