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घर से हम घर तलक गए होंगे - Jaun Elia

घर से हम घर तलक गए होंगे
अपने ही आप तक गए होंगे

हम जो अब आदमी हैं पहले कभी
जाम होंगे छलक गए होंगे

वो भी अब हम से थक गया होगा
हम भी अब उस से थक गए होंगे

शब जो हम से हुआ मुआफ़ करो
नहीं पी थी बहक गए होंगे

कितने ही लोग हिर्स-ए-शोहरत में
दार पर ख़ुद लटक गए होंगे

शुक्र है इस निगाह-ए-कम का मियां
पहले ही हम खटक गए होंगे

हम तो अपनी तलाश में अक्सर
अज़ समा-ता-समक गए होंगे

उस का लश्कर जहां-तहांया'नी
हम भी बस बे-कुमक गए होंगे

'जौन' अल्लाह और ये आलम
बीच में हम अटक गए होंगे

- Jaun Elia

Aadmi Shayari

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