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देखिये मायूस चेहरे पर हंसी की हाज़िरी  - Kashif Adeeb Makanpuri

देखिये मायूस चेहरे पर हंसी की हाज़िरी
दिल में जब हो जाये धोके से ख़ुशी की हाज़िरी

अब ख़ुदा जाने कि हो अन्जाम क्या नादान का
शाख़ पर है फूल की सूरत कली की हाज़िरी

कैसे लफ़्ज़ों में बयाँ हो पाये ये मन्ज़र हसीं
आस्मा पर चाँद घर में चाँदनी की हाज़िरी

एक तो आंखें मुशर्रफ़ होंगी उनकी दीद से
और हो जायेगी ऐसे हाज़िरी की हाज़िरी

करते हैं दो प्यार करने वाले जब आपस में बात
अच्छी लगती है कहाँ उस दम किसी की हाज़िरी

उस गली में कोई मुझको जानने वाला नहीं
मुद्दतों मैं ने लगाई जिस गली की हाज़िरी

बा अदब हो कर खड़े हैं हाज़िरे दरबार सब
ज़िन्दगानी ले रही है अब सभी की हाज़िरी

उस हसीं चेहरे का ही फ़ैज़ान है काशिफ़ अदीब
ज़ेह्न में होने लगी है शाइरी की हाज़िरी

- Kashif Adeeb Makanpuri

Khushi Shayari

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