दिल समझदार हो गया है क्या
जीना दुश्वार हो गया है क्या
आजकल सीरिअस बहुत हो तुम
वाक़ई प्यार हो गया है क्या
जब मिलो प्यार-प्यार करता है
शख़्स बीमार हो गया है क्या
ज़िंदा-ज़िंदा से लग रहे हो फिर
फिर से दीदार हो गया है क्या
रूह झुककर सलाम करती है
जिस्म फलदार हो गया है क्या
दाद-ओ-तहसीन क्यों नहीं थमती
शे'र असरदार हो गया है क्या
फन उठाये हुए ही रहता है
नामी फ़नकार हो गया है क्या
क़ीमतें बढ़ गईं पसीने की
'नाथ' ख़ुद्दार हो गया है क्या
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