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मत पूछिए के हम ने छुपाना है छोड़िए - Haider Khan

मत पूछिए के हम ने छुपाना है छोड़िए
हर ग़म लबों पे किस लिए लाना है छोड़िए

जब भी मैं उनके हाथ को थामूँ तो वो कहें
नाज़िर हमारा सारा ज़माना है छोड़िए

अपने ग़मों का उन से किया ज़िक्र और फिर
ये कह दिया ये महज़ फ़साना है छोड़िए

इक बात पूछनी थी ज़रा आपसे हमें
अच्छा ये फिर कभी, अभी जाना है छोड़िए

कितना इसे कहा के न बातों में आया कर
लेकिन ये दिल कहाँ कभी माना है छोड़िए

आए हैं आप देखने बर्बादियाँ मिरी
ये मिलना महज़ एक बहाना है छोड़िए

मेरी तरफ़ इशारा किया उसने और कहा
ये शख़्स तो बस एक दिवाना है छोड़िए

- Haider Khan

Gham Shayari

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