0

तू नसीब में हो या ना हो पर मेरी राह में तेरा घर रहे - Haider Khan

तू नसीब में हो या ना हो पर मेरी राह में तेरा घर रहे
हो यही के फिर उसी राह पर मेरा उम्र भर का सफ़र रहे

मुझे है ख़बर के तू मांगता है ख़ुदा से मुझको दुआओं में
मेरी आरज़ू है यही के अब तेरी हर दुआ में असर रहे

तू करीब हो या के दूर हो तू हो आश्ना या हो अजनबी
तेरा हाल हम को पता हो सब तू जहां रहे तू जिधर रहे

मेरी ये गज़ल मेरी शाइरी मेरी चाहतों का बयान हैं
मैं रहूं कभी या मैं ना रहूं मेरी सल्तनत ये अमर रहे

- Haider Khan

Safar Shayari

Our suggestion based on your choice

More by Haider Khan

As you were reading Shayari by Haider Khan

Similar Writers

our suggestion based on Haider Khan

Similar Moods

As you were reading Safar Shayari