कहाँ से सीखा तुमने ये ग़ज़ल पढ़ना
कहीं अब ले न डूबे ये ग़ज़ल पढ़ना
मिरा कुनबा इसी जिद्द-ओ-जहद में है
हमारा लड़का छोड़े ये ग़ज़ल पढ़ना
उदासी और तन्हाई सज़ा है क्या
हुआ है जुर्म कब से ये ग़ज़ल पढ़ना
मेरे दो बच्चों की मुस्कान के जैसे
मुझे मुझसे बचाए ये ग़ज़ल पढ़ना
है मुर्दों की ये बस्ती बे-दिली हर सू
इधर अब कौन समझे ये ग़ज़ल पढ़ना
ये चूमे शोले और पत्थर को पुचकारे
दिलो में गुल खिलाएँ ये ग़ज़ल पढ़ना
मैं कैसे भूल सकता हूँ तुझे जानाँ
तुझे मुझसे है बाँधे ये ग़ज़ल पढ़ना
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