एक मर्द-ए-बा-सफ़ा था डॉक्टर-ज़ाकिर-हुसैन
नेक-दिल फ़रमाँ-रवा था डॉक्टर-ज़ाकिर-हुसैन
सादा-दिल सादा-मिज़ाज-ओ-बा-अमल इंसान था
ख़ूबियों का आइना था डॉक्टर-ज़ाकिर-हुसैन
पासदार-ए-हुर्रियत था आबरू-ए-हिन्द था
एक सच्चा रहनुमा था डॉक्टर-ज़ाकिर-हुसैन
उस के हाथों में अमानत थी वतन की ज़िंदगी
इक अमीन-ए-बा-वफ़ा था डॉक्टर-ज़ाकिर-हुसैन
उस के हाथों में सलामत था सफ़ीना देश का
या'नी अपना नाख़ुदा था डॉक्टर-ज़ाकिर-हुसैन
आसमान-ए-इल्म का था इक दरख़्शाँ आफ़्ताब
चश्मा-ए-नूर-ओ-ज़िया था डॉक्टर-ज़ाकिर-हुसैन
मेहरबानी हर सवाली पर किया करता था वो
बे-बसों का हम-नवा था डॉक्टर-ज़ाकिर-हुसैन
रहनुमा-ए-क़ौम हो कर भी गदा-ए-क़ौम था
बेकसों का आसरा था डॉक्टर-ज़ाकिर-हुसैन
शरअ' का पाबंद था लेकिन तअ'स्सुब से बरी
सच तो ये है देवता था डॉक्टर-ज़ाकिर-हुसैन
इक दरख़्शंदा सितारा था हमारे देश का
क्या बताए चर्ख़ क्या था डॉक्टर-ज़ाकिर-हुसैन
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