Darshan Dayal Parwaz

Darshan Dayal Parwaz

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Darshan Dayal Parwaz shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Darshan Dayal Parwaz's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Ghazal
इस दर्जा मुतमइन हैं तिरी दोस्ती से हम
माँगे अगर तो जान भी देंगे ख़ुशी से हम

कह डालिए जो आप के दिल में है बे-धड़क
करते नहीं हैं बात किसी की किसी से हम

है उन की बात और है उन का हिसाब और
वैसे तो प्यार करते हैं हर आदमी से हम

या-रब अभी भी है तिरी रहमत पे ए'तिबार
बे-शक हैं बे-हिसाब ख़फ़ा ज़िंदगी से हम

अच्छी लगीं सभी को हमारी नसीहतें
कहते हैं तल्ख़ बात भी इस सादगी से हम

होगी तो जीत उस की बहर-हाल इश्क़ में
कितना करें मुक़ाबला मर्दांगी से हम

रहता नहीं मिज़ाज हमेशा तो एक सा
कब तक सहेंगे जौर तिरे ख़ामुशी से हम

'पर्वाज़' ज़िंदगी में जो होना था हो चुका
क्यों जाते जाते तौबा करें मय-कशी से हम
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Darshan Dayal Parwaz
हमदर्दियाँ किसी से किसी से दुआ मिली
या-रब सिला मिला है मुझे या सज़ा मिली

उस आदमी को जानिए सब कुछ ही मिल गया
जिस आदमी को दौलत-ए-शर्म-ओ-हया मिली

कुछ लोगों की शिकायतें होंगी बजा मगर
हम को तो दोस्ती में हमेशा वफ़ा मिली

पी जाएँ ख़ुम के ख़ुम ही जो पीर-ए-मुग़ाँ उन्हें
पैमानों में शराब मिली भी तो क्या मिली

उड़ने से रोक लें मिरी कमज़ोरियाँ मुझे
बे-शक हज़ार बार मुआफ़िक़ हवा मिली

किस काम का वो आदमी इस दौर में जिए
अंदाज़-ए-सूफियाना नज़र पारसा मिली

वो शख़्स मो'तबर हुआ अजमेर जो गया
नदिया हुई निहाल जो गंगा में जा मिली

'पर्वाज़' ख़ुश-नसीब है वो आदमी जिसे
रहबर मिला दुरुस्त नसीहत बजा मिली
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Darshan Dayal Parwaz
इस बात को भूलें न मुसलमान ख़ुदा के
काफ़िर भी हक़ीक़त में हैं इंसान ख़ुदा के

वो कौन है जिस को नहीं कुछ उस से शिकायत
वो कौन है जिस पर नहीं एहसान ख़ुदा के

बढ़ता ही चला जाता है दुनिया में तअ'स्सुब
बनते ही चले जाते हैं ऐवान ख़ुदा के

जलती हैं बहर-हाल गुनाहों की सज़ाएँ
करते रहें हम कितने भी गुन-गान ख़ुदा के

दुनिया तो हक़ीक़त में है इक रैन-बसेरा
हम सब तो हैं कुछ वक़्त के मेहमान ख़ुदा के

मर कर भी ज़रूरी नहीं पाएँगे रिहाई
दुनिया के अलावा भी हैं ज़िंदान ख़ुदा के

सोचो तो ज़रा भी नहीं इंसान की वक़अत
सुध-बुध भी ख़ुदा की है दिल-ओ-जान ख़ुदा के

'पर्वाज़' कभी ग़ौर से ये बात भी सोचें
इक बार भी काम आया है इंसान ख़ुदा के
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Darshan Dayal Parwaz
चाहे मानो बुरा हम नहीं मानते
पत्थरों को ख़ुदा हम नहीं मानते

जिस के होने न होने की तस्दीक़ हो
उस ख़ुदा को ख़ुदा हम नहीं मानते

मानते हैं उसे जो दिखाई न दे
और कोई ख़ुदा हम नहीं मानते

चाहे कितना ही मुश्किल हो जीना उसे
ज़िंदगी को सज़ा हम नहीं मानते

अपने आ'माल की भी है कुछ तो ख़ता
सब है रब की रज़ा हम नहीं मानते

हम को ख़ुद भी नहीं कुछ पता दोस्तो
मानते भी हैं या हम नहीं मानते

मानते हैं बुरी आदतों का बुरा
ग़लतियों का बुरा हम नहीं मानते

हम समझते हैं सर पर चढ़ाना बुरा
प्यार का तो बुरा हम नहीं मानते

मय के पीने से कितनी भी राहत मिले
मय का पीना बजा हम नहीं मानते

दोष दे सकते हैं अपनी तक़दीर को
यार को बेवफ़ा हम नहीं मानते

मान सकते हैं हम उस को इक ख़ौफ़ ही
कुछ है रब से बड़ा हम नहीं मानते

क्यों यही कुछ ही 'पर्वाज़' अक्सर कहो
मैं नहीं मानता हम नहीं मानते
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Darshan Dayal Parwaz
कर गए इतना निकम्मा तिरे एहसाँ हम को
फ़ाएदे से भी ज़ियादा हुआ नुक़साँ हम को

मय-कशी से हमें ये फ़ाएदा है ऐ ज़ाहिद
लगने लगते हैं सभी काम ही आसाँ हम को

कौन नुक़सान उठाता है उसूलों के लिए
दीन-ओ-ईमान से बढ़ कर हैं दिल-ओ-जाँ हम को

हम से नाचीज़ भी रखते हैं ये ख़्वाहिश दिल में
कोई समझे हमें आक़ा कोई सुल्ताँ हम को

आज पुल बाँध रहे हैं वही तारीफ़ों के
ज़िंदगी भर जो समझते रहे नादाँ हम को

ख़ुद-बख़ुद ढूँडेगी रस्ता कोई रहमत उस की
रास आ जाएगी ख़ुद गर्दिश-ए-दौराँ हम को

फ़िक्र-ए-फ़र्दा से बड़ा रोग नहीं कोई भी
उम्र भर रखती है बेकार परेशाँ हम को

दिल में है दर्द तिरा फ़िक्र तिरी प्यार तिरा
कैसे लगता न ये वीराना गुलिस्ताँ हम को
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Darshan Dayal Parwaz
दुनिया के मसाइल से हर वक़्त घिरा होना
मुश्किल तो बहुत होगा दुनिया का ख़ुदा होना

उम्मीद के दामन को छोड़ा भी नहीं जाता
लगता तो है ना-मुम्किन वा'दे का वफ़ा होना

जितनी भी ख़ताएँ हैं या-रब हैं जवानी की
जब बस में नहीं होता अच्छा कि बुरा होना

दशरथ की तरह दुनिया छोड़ी भी नहीं जाती
तकलीफ़ तो देता है अपनों से जुदा होना

बेकार बनाता है बेहाल बनाता है
इंसान का अपनी ही नज़रों से गिरा होना

उम्मीद है उन को भी शायद मिरे आने की
इतना तो बताना है दरवाज़े का वा होना

होना तो ज़रूरी है हर रोज़ इबादत का
अच्छा भी नहीं लगता हर रोज़ गिला होना

क्या उन को सिखाएगा क्या उन को बनाएगा
तलवारों के साए में बच्चों का बड़ा होना

यारों की मोहब्बत है तेरा भी करम या-रब
'पर्वाज़' से इंसाँ को हर शय का मिला होना
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Darshan Dayal Parwaz