Dinesh naaidu

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Dinesh naaidu shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Dinesh naaidu's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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Shayari
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  • Ghazal
ज़माने ठीक है इन से बहुत हुए रौशन
मगर चराग़ कहाँ ख़ुद को कर सके रौशन

सभी के ज़ेहन में उस का ख़याल रहता है
उस एक नूर से है कितने आइने रौशन

अभी तो हम को कई रोज़ जगमगाना है
हमीं है दश्त में इक आख़िरी दिए रौशन

महक उसी की मिरी रहनुमाई करती है
उसी की चाप से होते हैं रास्ते रौशन

हम एक उम्र से तारीकियों में सिमटे थे
जब उस ने छू लिया तो हम भी हो गए रौशन

किसी का अक्स मुझे ख़्वाब में दिखा था कभी
तमाम उम्र रहे मेरे रत-जगे रौशन

ये आधी रात को दस्तक सी किस ने दी दिल पर
ये किस ने कर दिए हर सम्त क़ुमक़ुमे रौशन

हम एक रुख़ से अँधेरे में आ गए लेकिन
कई रुख़ों से हमारे हैं सिलसिले रौशन

चलो 'दिनेश' अब इस दिल से उन का नूर गया
तलाशते हैं इलाक़े बचे-खुचे रौशन
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मिरा ये मलबा मिरा ख़राबा तुम्हारी यादों से लड़ रहा है
उसी की ता'मीर हो रही है वो एक घर जो नहीं बचा है

पड़े हुए हैं जली-बुझी सिगरटों के टुकड़े हर इक जगह पर
और एक चेहरा शगुफ़्ता चेहरा तमाम घर में बसा हुआ है

लगा रही है मुझे सदा-ए-हवा दरीचे से लड़ते लड़ते
मिरा ये कमरा ख़मोश कमरा किसी की आहट से भर गया है

कहीं से साये भी आ गए हैं मुझे सुनाने कहानी अपनी
कोई फ़साना भी धीरे धीरे बुलंद मंज़र से हो रहा है

बुला रहीं हैं मुझे दोबारा उदासियों की हसीन वादी
किसी की यादों का सब्ज़-मौसम अभी भी ताज़ा बना हुआ है

जो रंग-रोग़न बिखर रहे हैं तमाम घर में अता है उस की
बस एक आमद से उस की वीराँ खंडर सा ये घर भी जी उठा है
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जो भी निकले तिरी आवाज़ लगाता निकले
ऐसे हालात में अब घर से कोई क्या निकले

उस के लहजे में सराबों की अजब रौनक़ है
ऐन मुमकिन है वो तपता हुआ सहरा निकले

हर तरफ़ ख़्वाब वही ख़्वाब वही इक चेहरा
अब किसी तौर मेरे घर से ये मलबा निकले

दश्त वालों को बताओ की यहाँ मैं भी हूँ
क्या पता मुझ से ही उन का कोई रस्ता निकले

बस इसी आस में बैठा हूँ सर-ए-सहरा मैं
कोई बादल मुझे आवाज़ लगाता निकले

काश ऐसा हो तेरे शहर में प्यासा आऊँ
और तिरे क़दमों से हो कर कोई दरिया निकले

रक़्स करते थे तिरे हाथों पे कितने आलम
अब तो आँखों से मिरी रंग हिना का निकले

तेरे होने पे भी इक डर सा लगा रहता है
कैसे इस जी से तिरे हिज्र का धड़का निकले
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