Ikram Basra

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Ikram Basra shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Ikram Basra's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Ghazal
  • Nazm
बुरी ज़मीनों के फ़ासलों को मिटाते रहना
मैं लौट आऊँगा मुझ को वापस बुलाते रहना

ये गर्द-बादों का मसअला है कि मश्ग़ला है
हवा के दामन पे दाएरे से बनाते रहना

तिरी तलब के अलावा अपना कोई नहीं है
क़रीब आ कर भी कुछ न कुछ दूर जाते रहना

तुम्हारी आँखें तो ज़िंदगी से भरी हुई हैं
हमारे जैसों का हौसला भी बढ़ाते रहना

वो नज़्म जिस को पढ़ा नहीं था जिया था हम ने
कोई भी रुत हो बहार आई सुनाते रहना

विसाल क्या है सुपुर्दगी का कमाल क्या है
बढ़ा-चढ़ा कर सहेलियों को बताते रहना

नज़र भी रखना मोहल्ले वालों की ज़िंदगी पर
कबूतरों को भी दाना-वाना खिलाते रहना

बिछड़ना चाहो तो अपने दिल की नफ़ी न करना
यही बहुत है जहाँ रहो मुस्कुराते रहना

ये पेड़ वो हैं जो आसमानों को साया देंगे
जो हो सके तो दुआ के पौदे लगाते रहना

हमारी दुनिया में हैरतों की बहुत कमी है
ये आग अंदर से बुझ रही है जलाते रहना
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Ikram Basra
न दलीलें न ही अबाबीलें
सब्र के घूँट हैं वही पी लें

कैसी बे-ख़्वाब हैं सभी आँखें
जिस तरह ख़ुश्क-ओ-बे-अमाँ झीलें

मात खा जाएँ ज़ब्त से अपने
और इंसानियत पे बाज़ी लें

एक इंसान का लहू कर के
उस पे शैतान की गवाही लें

कूच कर जाएँ ऐसे कूचे से
साथ नाकामियों की पूँजी लें

जहल में सहल है उन्हें शायद
उस पे इक दूसरे से थपकी लें

बस नहीं चल रहा फ़रिश्तों का
वर्ना पल्टी हुई ये धरती लें

जिन के शजरे में बस जहालत है
उन से नस्लों की रहनुमाई लें

राख सूरज ही की निकलती है
जब किसी रात की तलाशी लें

ये स्याही है इस लिए शायद
ताकि अख़बार अपनी सुर्ख़ी लें

कितने ही गिर्ये हम पे वाजिब हैं
पर सुहूलत नहीं कि रूही लें

सिर्फ़ पैदा हों उस ज़माने में
और फिर उम्र भर तसल्ली लें

सख़्त नादिम हूँ अपने बच्चों से
यही माहौल है अगर जी लें
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