लगा हम को नहीं है रहम दिल तुम सा ज़माने में
मगर कोई कसर तुमने न छोड़ी दिल दुखाने में
कि जाने-जाँ भला वो ग़ैर तो फिर ग़ैर थे लेकिन
तुम्हीं अव्वल रहे हो यार हम को आज़माने में
सुनाई जो गई है दास्ताँ तुम को हमारी वो
लिखा था झूठ क़िस्सा वो हमारा उस फ़साने में
उसे फिर इस लिए जाने दिया हम ने नहीं रोका
ज़रा इक बात सच थी दोस्त उसके उस बहाने में
उसे हम बे-वफ़ा बोलें कि तौहीन-ए-वफ़ा होगी
हमें छोड़ा पुराने से वफ़ा उसने निभाने में
हँसाते थे हमें जो लोग पर महसूस होता है
उन्हीं का हाथ है अब यार यूँ हम को रुलाने में
उसे वापस बुलाऊँ क्या मिरे यारो बताओ तुम
उसे गर इश्क़ होता देर करता क्या वो आने में
रहेगा इन्तिज़ारे-यार अब तो उम्र भर हम को
कि वीरानी रहेगी दोस्त दिल के आशियाने में
दिखावा अब नहीं करना किसी को भी ज़रा सा भी
उदासी में परेशानी हमें है मुस्कुराने में
हमारी ज़िन्दगी सारी कि गुज़री यार यूँ "आरिज़"
उसे कुछ चाहने में याद करने तो भुलाने में
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