यादों में आपकी नया मंज़र बना दिया
सहरा को हमने आज समन्दर बना दिया
तक़लीद कर के दिल ने तुम्हारी अदाओं की
तारीकियों को मेरा मुक़द्दर बना दिया
ज़र्रा नवाज़ियों ने किसी बादशाह की
मुझसे हक़ीर को भी सिकंदर बना दिया
मैंने जो उसके हुस्न पे डाली ज़रा नज़र
पल भर में उसने नज़रों को ख़ंजर बना दिया
आँखों ने मेरी जाग के ख़्वाबों से जंग की
फ़ुर्क़त ने तेरी ख़्वाबों को बे घर बना दिया
चूमे बुलंदियों ने क़दम मेरे आन कर
जब ख़ुद को तेरे दर का गदागर बना दिया
फ़रहाद देख हाथों से मैंने तराश कर
पत्थर को एक क़ीमती गौहर बना दिया
चर्चा है आज कल ये अज़ीज़ों में ऐ शजर
सोहबत ने आपकी हमें बेहतर बना दिया
Read Full