हम क़दम क़दम मुहाल आप क्यों ठहर गए
आप को है क्या मलाल आप क्यों ठहर गए
जल रहे है हम फ़िराक़ की सुलगती आग में
ये है, मौसम-ए-विसाल आप क्यों ठहर गए
जी फ़राज़-ए-मौत पे बहल रहा है आपका
आपका है ग़म विशाल आप क्यों ठहर गए
सुर्ख़ हो सफ़ेद हो के रंग इश्क़ का भला
क्या जुनूब से शुमाल आप क्यों ठहर गए
दिल बहल रहा है आपका भी किस विसाल से
इश्क़ अच्छा है ख़याल आप क्यों ठहर गए
कर रहा था क़त्ल वो सर-ए-जुनूँ सा बज़्म में
लफ़्ज़ लफ़्ज़ से क़िताल आप क्यों ठहर गए
आरज़ू-ए-वस्ल की उमीद थी उरूज़ पर
इश्क़ था या इंतिक़ाल आप क्यों ठहर गए
हम सुख़नवरों कि है ये दास्ताँ अज़ीब ही
आपका था क्या सवाल आप क्यों ठहर गए
था कभी उरूज़ पे सुख़न-सरों का हाल भी
'शिव' बचा है बोल-चाल आप क्यों ठहर गए
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