अचानक हिज्र में फ़रियाद कर के - ZARKHEZ

अचानक हिज्र में फ़रियाद कर के
ठहर जाता हूँ तुझको याद कर के

वो मुझको क़ैद करता जा रहा है
मेरी हर आरज़ू आज़ाद कर के

सुख़न-साज़ी को इक दिन छोड़ देंगे
लब-ओ-लहजा नया ईजाद कर के

कोई हाथों में इक तेशा थमा दे
मुझे ज़रख़ेज़ से फ़रहाद कर के

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