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हाथों में जब जाम नहीं था  - Ahmad Muneeb

हाथों में जब जाम नहीं था
शेर सुनाना आम नहीं था

हम ने भी तब इश्क़ किया जब
करने को कुछ काम नहीं था

वो भी थी इक आम सी लड़की
अपना भी तब नाम नहीं था

एक ज़माना वो भी था जब
मंदिर में कोई राम नहीं था

मैं ने इक नगरी में देखा
ख़ास था सब कुछ आम नहीं था

ये तो जुनून-ए-इश्क़ है वर्ना
इतना मैं ना-काम नहीं था

मैं ने मरना बेहतर समझा
दुनिया में आराम नहीं था

- Ahmad Muneeb

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