kare koi
haal ki na dua kare koi
aisa bhi kya kiya kare koi
sham-e-ummeed bujh gai ho phir
jitni chahe hawa kare koi
ab tabee'at ka hai takaaza ye
raabta ya to tod den mujhse
dillagi ho jo chhod den mujhse
ya mujhi ko khuda kare koi
jitna chahe manaa kare koi
ek ladki hai gaal pe til do
naam uska pata kare koi
suit ka rang hai haraa uske
so mujhe bhi haraa kare koi
haay uske vo ambri gesu
haay uske vo sumbalein gesu
haay uske vo gesu-e-pur-khum
dekhkar sochta hoon main in se
kaise khudko rihaa kare koi
baat thodi ajeeb to hai par
ye abhi se mujhe nahin manzoor
naaf-pyaala chhua kare koi
jitni chahe piya kare koi
jitni chahe piya kare koi
jitna chahe nasha kare koi
"करे कोई"
हाल की ना दुआ करे कोई
ऐसा भी क्या किया करे कोई
शम-ए-उम्मीद बुझ गई हो फिर
जितनी चाहे हवा करे कोई
अब तबी'अत का है तकाज़ा ये
राब्ता या तो तोड़ दें मुझसे
दिल्लगी हो जो छोड़ दें मुझसे
या मुझी को खुदा करे कोई
जितना चाहे मना करे कोई
एक लड़की है गाल पे तिल दो
नाम उसका पता करे कोई
सूट का रंग है हरा उसके
सो मुझे भी हरा करे कोई
हाय उसके वो अंबरी गेसू
हाय उसके वो सुम्बलीं गेसू
हाय उसके वो गेसू-ए-पुर-ख़म
देखकर सोचता हूँ मैं इन से
कैसे खुदको रिहा करे कोई
बात थोड़ी अजीब तो है पर
ये अभी से मुझे नहीं मंज़ूर
नाफ़-प्याला छुआ करे कोई
जितनी चाहे पिया करे कोई
जितनी चाहे पिया करे कोई
जितना चाहे नशा करे कोई
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