जो अपना फ़र्ज़ हम पूरा करेंगे
तो हरदम फूल सा महका करेंगे
हमारी ज़ीस्त जब नीलाम होगी
तो लाखों लोग ही दावा करेंगे
अड़े रहते हैं जो ज़िद पर हमेशा
भला कैसे वो समझौता करेंगे
हमारे आँसुओं पर भी सितमगर
किसी दिन आ के जुरमाना करेंगे
हुए हासिल कहाँ से ज़ख़्म हमको
कभी फ़ुरसत में हम चर्चा करेंगे
रहेगी रूह कैसे फिर बदन में
जो इतना फ़ासला पैदा करेंगे
बदल कर आइना कब तक बताओ
नया किरदार हम पैदा करेंगे
मुहब्बत सबसे करते हैं जहाँ में
तो क्या सबकी नज़र पूजा करेंगे
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