जज़्बात के किस्से हैं हुनर लफ़ज़गरी है
दीवाने को खैरात तेरे ग़म से मिली है
पलकों पे सजाई है जो अश्क़ों की लड़ी है
एक भूली हुई याद की तस्वीर बनी है
ऐ राहते जाँ राज़ ये मालूम है हमको
इक तेरे सिवा जो भी यहां शय है बुरी है
ख़ामोशी है अब मेरी समाअत का तकाज़ह
पायल की खनक कान पे ज़ंजीर-ज़नी है
मदहोशी का आलम है इसी वहम ओ गुमान में
वहशत में किसे चाक गिरेबाँ की पड़ी है
दिल ज़ब्त की आतिश में जलाया है मुसलसल
पत्थर भी पिघल जाए वो लफ़्ज़ों में नमी है
Our suggestion based on your choice
As you were reading Shayari by Jaani Lakhnavi
our suggestion based on Jaani Lakhnavi
As you were reading Aansoo Shayari