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जज़्बात के किस्से हैं हुनर लफ़ज़गरी है - Jaani Lakhnavi

जज़्बात के किस्से हैं हुनर लफ़ज़गरी है
दीवाने को खैरात तेरे ग़म से मिली है

पलकों पे सजाई है जो अश्क़ों की लड़ी है
एक भूली हुई याद की तस्वीर बनी है

ऐ राहते जाँ राज़ ये मालूम है हमको
इक तेरे सिवा जो भी यहां शय है बुरी है

ख़ामोशी है अब मेरी समाअत का तकाज़ह
पायल की खनक कान पे ज़ंजीर-ज़नी है

मदहोशी का आलम है इसी वहम ओ गुमान में
वहशत में किसे चाक गिरेबाँ की पड़ी है

दिल ज़ब्त की आतिश में जलाया है मुसलसल
पत्थर भी पिघल जाए वो लफ़्ज़ों में नमी है

- Jaani Lakhnavi

Aansoo Shayari

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