तबाह रस्तों की हमसफ़र है बड़ी पुरानी सुकूत की धुन
चले भी आओ हमारे घर तक तुम्हें मिलेगी सुकूत की धुन
कोई तजल्ली किसी समंदर में जा गिरी हो अंधेरी शब में
यूँही अचानक हुई है तारी ये मुझ पे क़ुदसी सुकूत की धुन
ख़मोश दरया से मैं मुसलसल सवाल ए नग़मात कर रहा था
जवाब में ये सवाल आया सुनाई देगी सुकूत की धुन?
उदास सरगम खमोश लहजा दलीले एहले हुनर यही है
सो मेरी क़िस्मत में लिखी उसने फक़त उदासी, सुकूत की धुन
सियाह शब की मुख़ालिफ़त में हो जैसे कोई ग़रीब जुगनु
हमारे जिस्मों में पल रही है यूं बेमआनी सुकूत की धुन
हुए हैं कुछ ऐसे हादसे जो उतर गये हैं जिगर के अंदर
तभी से शह-रग में बज रही है मेरे ख़ुदाई सुकूत की धुन
ये शोर ये वलवले कहां रास आने थे इस लिए मैं 'जानी'
भटक रहा हुँ अज़ल से सुनते हुए सराबी सुकूत की धुन
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