हर क़दम दूरी-ए-मंज़िल है नुमायाँ मुझ से
मेरी रफ़्तार से भागे है बयाबाँ मुझ से
दर्स-ए-उनवान-ए-तमाशा ब-तग़ाफ़ुल ख़ुश-तर
है निगह रिश्ता-ए-शीराज़ा-ए-मिज़्गाँ मुझ से
वहशत-ए-आतिश-ए-दिल से शब-ए-तन्हाई में
सूरत-ए-दूद रहा साया गुरेज़ाँ मुझ से
ग़म-ए-उश्शाक़ न हो सादगी-आमोज़-ए-बुताँ
किस क़दर ख़ाना-ए-आईना है वीराँ मुझ से
असर-ए-आबला से जादा-ए-सहरा-ए-जुनूँ
सूरत-ए-रिश्ता-ए-गौहर है चराग़ाँ मुझ से
बे-ख़ुदी बिस्तर-ए-तम्हीद-ए-फ़राग़त हो जो
पुर है साए की तरह मेरा शबिस्ताँ मुझ से
शौक़-ए-दीदार में गर तू मुझे गर्दन मारे
हो निगह मिस्ल-ए-गुल-ए-शमा परेशाँ मुझ से
बेकसी-हा-ए-शब-ए-हिज्र की वहशत है है
साया ख़ुर्शीद-ए-क़यामत में है पिन्हाँ मुझ से
गर्दिश-ए-साग़र-ए-सद-जल्वा-ए-रंगीं तुझ से
आइना-दारी-ए-यक-दीदा-ए-हैराँ मुझ से
निगह-ए-गर्म से एक आग टपकती है 'असद'
है चराग़ाँ ख़स-ओ-ख़ाशाक-ए-गुलिस्ताँ मुझ से
बस्तन-ए-अहद-ए-मोहब्बत हमा नादानी था
चश्म-ए-नकुशूदा रहा उक़्दा-ए-पैमाँ मुझ से
आतिश-अफ़रोज़ी-ए-यक-शोला-ए-ईमा तुझ से
चश्मक-आराई-ए-सद-शहर चराग़ाँ मुझ से
Our suggestion based on your choice
As you were reading Shayari by Mirza Ghalib
our suggestion based on Mirza Ghalib
As you were reading Aag Shayari Shayari