मुसलसल दिल कहीं भी तेरा लगने ये नहीं वाला
अगर लग भी गया तो चैन से रहने नहीं वाला
मिरी इस बात पर कोई यक़ीं करने नहीं वाला
तुम्हारा ज़ख़्म ये इस साल भी भरने नहीं वाला
यक़ीं तुझको दिलाएगा तिरा ही तो है वो लेकिन
यक़ीं तू कर मिरा हरगिज़ तिरा होने नहीं वाला
मिरे हर ज़ख़्म को मैंने भरा है पत्थरों से यूँ
बदन पर ज़ख़्म कोई भी नया उगने नहीं वाला
अकेले काटा जा तो सकता है ये वक़्त पर लेकिन
किसी के साथ रह कर वक़्त ये कटने नहीं वाला
इधर किरदार मिटने को मिरा तैयार है लेकिन
उधर किरदार चलना है अभी मिटने नहीं वाला
अभी भी वक़्त है अपना किसी से हाल मत कहना
तिरे इस हाल पर कोई यहाँ रोने नहीं वाला
ज़रा सा सब्र तू करले तुझे वो मिल ही जाएगा
तिरी क़ीमत भी समझेगा तुझे खोने नहीं वाला
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