कभी वो प्यार करते हैं कभी वो भूल जाते हैं
बहुत होते हैं दिलकश वो जो रिश्ते दिल दुखाते हैं
हमें कर के खड़ा तन्हा किसी अनजान महफ़िल में
वफ़ा ग़ैरों से करते हैं हमारा सर झुकाते हैं
सभी रोते हैं उल्फ़त में सभी तन्हाई में सोते
किए अपनी मुहब्बत का सभी अंजाम पाते हैं
भरी महफ़िल में हाल-ए-दिल कोई पूछे तो क्या कहते
कभी ख़ामोश रहते हैं कभी हम मुस्कुराते हैं
जवाँ होती हैं रातें जब जवाँ होती है तन्हाई
किसी अपने की यादों में चराग़ों को सुलाते हैं
नहीं छोड़ो सफ़र में वो जो करते हैं वफ़ा तुमसे
बहुत दिलशाद होते हैं सभी जो दिल लगाते हैं
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