Daud Naseeb

Daud Naseeb

@daud-naseeb

Daud Naseeb shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Daud Naseeb's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Ghazal
वो थे अपने तो हर इक दौर था हो कर अपना
अब न तक़दीर न क़िस्मत न मुक़द्दर अपना

मै-कदा अपना है मय अपनी है साग़र अपना
ये अलग बात कि हक़ है न किसी पर अपना

कभी गिर्दाब था मौज अपनी थी गौहर अपना
अब नदी अपनी न दरिया न समुंदर अपना

बोरिया रहता सलामत न तो बिस्तर अपना
वो तो ये कहिए कि तकिया था ख़ुदा पर अपना

न सुकूँ भीड़ में दिल को न अकेले में क़रार
क्या ख़बर चाहता क्या है दिल-ए-मुज़्तर अपना

क्यों तड़प उठते न लोगों के तड़प उठने पर
वक़्त के दिल की तरह दिल नहीं पत्थर अपना

आप का हुस्न सलामत है ख़ुद आईना ख़राब
आप शर्मिंदा न हों देख के मंज़र अपना

वक़्त करता रहा तदबीर बराबर अपनी
काम करती रही तक़दीर बराबर अपना

सुर्ख़-रू क्यों न गुलिस्ताँ नज़र आएगा 'नसीब'
जज़्ब है ख़ून हर इक फूल के अंदर अपना
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Daud Naseeb
आँखों में अश्क और न लबों पर हँसी रही
दुनिया हमारे हाल को चुप देखती रही

बरसों हमारे साथ रवाँ ज़िंदगी रही
आख़िर को अजनबी की वही अजनबी रही

तुझ को जिन्हों ने साहब-ए-महफ़िल बना दिया
महफ़िल में तेरी सिर्फ़ उन्हीं की कमी रही

बैठे तो एक पैकर-ए-फ़ित्ना बने रहे
उट्ठे तो आ के साथ क़यामत खड़ी हुई

अहल-ए-जुनूँ तो इस से भी आगे निकल गए
मंज़िल के फ़ासलों को ख़िरद नापती रही

दुनिया को ठोकरों में रखा जिस ने दोस्तो
क़दमों में ऐसे शख़्स के दुनिया पड़ी रही

ख़ामोश हम भी सुनते रहे अपनी दास्ताँ
दुनिया बग़ैर नाम लिए बोलती रही

जब से ग़मों की भीड़ में हम खो गए 'नसीब'
उस रोज़ से ख़ुशी भी हमें ढूँढती रही
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