Faiz Khalilabadi

Faiz Khalilabadi

@faiz-khalilabadi

Faiz Khalilabadi shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Faiz Khalilabadi's shayari and don't forget to save your favorite ones.

Followers

1

Content

14

Likes

0

Shayari
Audios
  • Ghazal
यूँ पहुँचना है मुझे रूह की तुग़्यानी तक
जिस तरह रस्सी से जाता है घड़ा पानी तक

काटनी पड़ती है नाख़ुन से तकन की ज़ंजीर
यूँ ही आती नहीं मुश्किल कोई आसानी तक

ज़िंदगी तुझ से बनाए हुए रिश्ते की हवस
मुझ को ले आई है दुनिया की परेशानी तक

ऐसे जर्राहों का क़ब्ज़ा है सुख़न पर अफ़्सोस
कर नहीं सकते जो लफ़्ज़ों की मुसलमानी तक

अपने अंदर मैं किया करता हूँ राजा की तलाश
इस वसीले से पहुँचना है मुझे रानी तक

ऐसे लफ़्ज़ों को भी बे-ऐब बनाया हम ने
जिन की जाएज़ ही नहीं होती थी क़ुर्बानी तक

हुस्न का पाँव दबाती है जहाँ शोख़ हवा
इश्क़ ले आया है मुझ को इसी वीरानी तक

'फ़ैज़' हम लोग हैं इक ऐसी कचेहरी के वकील
फ़ौजदारी से पहुँचते हैं जो दीवानी तक
Read Full
Faiz Khalilabadi
तमाम-दुनिया का लख़्त-ए-जिगर बना हुआ था
वो आदमी जो मिरा दर्द-ए-सर बना हुआ था

उसे तलाश रही हैं मिरी उदास आँखें
जो ख़्वाब रात के पिछले पहर बना हुआ था

पहुँच के कूचा-ए-जानाँ में आ गया बाहर
मिरे वजूद के अंदर जो डर बना हुआ था

कमाल-ए-इश्क़ ने मेरे किया है ज़ेर उसे
किसी का हुस्न जो कल तक ज़बर बना हुआ था

उतरती कैसे सुकूँ की वहाँ कोई चिड़िया
महल जो हिर्स की बुनियाद पर बना हुआ था

बना दिया उसे इंसान तेरी क़ुर्बत ने
तिरे फ़िराक़ में जो जानवर बना हुआ था

ये उस का शौक़ नहीं उस की इंकिसारी थी
वसीअ' हो के भी जो मुख़्तसर बना हुआ था

पहुँच गया है जवानी से अब बुढ़ापे तक
वो एक दुख जो शरीक-ए-सफ़र बना हुआ था

हवस के चाक की मिट्टी जवान थी जब तक
तमाम-शहर यहाँ कूज़ा-गर बना हुआ था

वो जानता था मिरे अन-कहे दुखों का इलाज
मगर वो 'फ़ैज़'-मियाँ बे-ख़बर बना हुआ था
Read Full
Faiz Khalilabadi