Ghayas Mateen

Ghayas Mateen

@ghayas-mateen

Ghayas Mateen shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Ghayas Mateen's shayari and don't forget to save your favorite ones.

Followers

0

Content

10

Likes

0

Shayari
Audios
  • Ghazal
बारिश होगी तो बारिश में दोनों मिल कर भीगेंगे
रेत पे एक मुसाफ़िर का घर और समुंदर भीगेंगे

अच्छा मैं हारा तुम जीते आगे की इक बात सुनो
अब के बरस जब बारिश होगी सोच समझ कर भीगेंगे

धूप का इक टुकड़ा क्यूँ मेरे सर पर साया करता है
क्या मुझ को मंज़र से हटा कर सारे मंज़र भीगेंगे

काग़ज़ की इक कश्ती ले कर बारिश में क्यूँ निकले हो
भूले-बिसरे बचपन की यादों के पैकर भीगेंगे

अच्छे लोगों की बस्ती में तुम क्यूँ रहने आए हो
याँ होंटों पर फूल खिलेंगे ख़ून में ख़ंजर भीगेंगे

उस दिन की जब बारिश होगी कौन बचेगा हम-सफ़रो
फूल परिंद चराग़ जज़ीरे कंकर पत्थर भीगेंगे

इक फ़ानूस है जिस में अपनी रूह 'मतीन' सुलगती है
भीगना जब ठहरा तो उसी फ़ानूस के अंदर भीगेंगे
Read Full
Ghayas Mateen
नसीबा जाग उट्ठा और मुक़द्दर बन गया अपना
जहाँ दीवार है उस की वहीं घर बन गया अपना

न जाने धूप ने अपनी ज़बाँ में क्या कह उस से
शजर के जिस्म से साया निकल कर बन गया अपना

हमारी आँख से नींदों का रिश्ता तोड़ने वाले
कोई तुझ से सिवा ख़ुश-रंग पैकर बन गया अपना

हमारा सर सलामत ही रहा संग-ए-हवादिस में
जो पत्थर भी इधर आया वो पत्थर बन गया अपना

सफ़र में साथ अपने धूप दरिया और समुंदर थे
हमारी ख़ुश-नसीबी थी समुंदर बन गया अपना

हवा बारिश समुंदर का किनारा और हम दोनों
कुछ ऐसे खो गए मंज़र में मंज़र बन गया अपना

यही बारिश का मौसम था हवाएँ तेज़ थीं उस दिन
बहुत भीगा हुआ था वो सिमट कर बन गया अपना

'मतीन' इक उम्र गुज़री है सुख़न को आब देने में
तभी अल्मास-लहजा सब से हट कर बन गया अपना
Read Full
Ghayas Mateen
तुम्हारा रंग रंग-ए-आसमाँ जैसा बदलता है
किसी को चाहने वाला कहीं इतना बदलता है

सबा शबनम शफ़क़ रुख़्सार गुल महताब इन सब का
तुम्हारा नाम लेता हूँ तो क्यूँ चेहरा बदलता है

सबा गुफ़्तार शीरीं लब सितारा चश्म हैं तो क्या
बदलते हम भी हैं जब सामने वाला बदलता है

कभी जाती नहीं जंगल की बू संदल के पैकर से
कि सूरत के बदलने से कहीं रिश्ता बदलता है

ये शहर-ए-बे-सदा अंदर से शहर-ए-आरज़ू निकला
धुआँ हर-दम यहाँ बुझते चराग़ों का बदलता है

उतरते वक़्त पानी में ज़रा ये देख लेना था
कि अंदर बीच में जा कर यही दरिया बदलता है

रहो दीवार के साए में लेकिन देखते रहना
हमेशा रुख़ यहाँ दीवार का साया बदलता है

सुख़न रस्ता लकीरों से नहीं लफ़्ज़ों से रौशन है
लकीरें पीटने से भी कभी रस्ता बदलता है

'मतीन' आओ चलें खे़मे की जानिब इक ज़रा सो लें
वो देखो सुब्ह का तारा लिबास अपना बदलता है
Read Full
Ghayas Mateen
हवा बहुत तेज़ चल रही है चराग़-ए-जाँ फिर भी जल रहा है
ये कौन है जो हमारे पीछे हवा के हमराह चल रहा है

गुमाँ की बस्ती में रहने वालो ज़रा पहाड़ी पे चढ़ के देखो
उधर नदी है वहीं से शहर-ए-यक़ीं का रस्ता निकल रहा है

सराब-अंदर-सराब तुम हो चराग़-अंदर-चराग़ हम हैं
हमीं से तारीकियाँ हैं ख़ाइफ़ हमीं से ख़ुर्शेद जल रहा है

हमारे बच्चे यहाँ रहेंगे तो आँधियों में घिरे रहेंगे
उन्हें यहाँ से निकलना होगा यहाँ का मंज़र बदल रहा है

पुरानी क़ब्रों पे आज कितने नए मकानों की ज़िंदगी है
जो आज है बस उसी को देखो वो भूल जाओ जो कल रहा है

किसी ने शाने पे हाथ रख कर जो नाम पूछा 'मतीन' अपना
चराग़ आँखों में जल-बुझे हैं वजूद सारा पिघल रहा है
Read Full
Ghayas Mateen
आँख की पुतली में सूरज सर में कुछ सौदा उगा
पानियों में सुर्ख़ पौदे धूप में साया उगा

आसमाँ की भीड़ में तो इस लिए सोचा गया
इस ज़मीं की छातियों से नूर का चश्मा उगा

नींद में चलने की आदत ख़्वाब में लिखने का फ़न
एक जैसी बात है तो आतिश-ए-नग़्मा उगा

मैं ने अपनी दोनों आँखों में उगाए हैं पहाड़
तेरी आँखों में समुंदर था वहाँ सहरा उगा

सब्ज़ा-ए-बेगाना बन कर जी लिया तो क्या जिया
ख़ुद को बो कर इस ज़मीं से इक नया चेहरा उगा

धूप जैसे क़हक़हे हैं रेत जैसी बात है
तू अगर ग़व्वास है तो रेत में दरिया उगा

ये ज़मीं बूढ़ी है उस को पीठ से अपनी उतार
आसमाँ को जेब में रख ले नई दुनिया का उगा

हम तो ख़ुद इज़हार हैं अपने ज़माने का 'मतीन'
बुझ गए आवाज़ के शो'ले नया लहजा उगा
Read Full
Ghayas Mateen