Haidar Jafri

Haidar Jafri

@haidar-jafri

Haidar Jafri shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Haidar Jafri's shayari and don't forget to save your favorite ones.

Followers

0

Content

11

Likes

0

Shayari
Audios
  • Ghazal
मिरा दिन ख़ूबसूरत यूँ बना देता तो क्या होता
वो हम को प्यार से आ कर जगा देता तो क्या होता

बहुत वा'दे किए थे आप ने तो साथ रहने के
मोहब्बत में अगर इक दो निभा देते तो क्या होता

मिरा इस शब की तारीकी से दिल बेचैन होता है
रुख़-ए-अनवर से वो पर्दा हटा देते तो क्या होता

मुसव्विर हूँ तसव्वुर आप की तस्वीर है मेरा
तुम्हें गर अपनी यादों से मिटा देते तो क्या होता

मैं कब से मुंतज़िर था आप की नज़र-ए-करामत का
जो लम्हे भर को ही चेहरा दिखा देते तो क्या होता

अजब ये शौक़ है गलियों में तेरी रोज़ आता हूँ
तिरी राहों में ही घर को बना देते तो क्या होता

मैं अपने ज़ख़्म ख़ुद ही देख कर ख़ुद से ये कहता हूँ
वो हँस कर टाल जाते हैं सज़ा देते तो क्या होता

है उन की शाइ'री का भी बहुत चर्चा ज़बानों पर
ग़ज़ल हम को भी वो 'हैदर' सुना देते तो क्या होता
Read Full
Haidar Jafri
अहवाल मिरा पूछने आते भी नहीं हैं
किस हाल में ख़ुद हैं ये बताते भी नहीं हैं

वैसे तो बसाते ही नहीं दिल में किसी को
पर जिस को बसाया है भुलाते भी नहीं हैं

हम मिलते नहीं उन से ये उन को है शिकायत
और ख़ुद वो मोहब्बत से बुलाते भी नहीं हैं

चाहे न बुलाना तो न बुलवाए वो लेकिन
यूँ ख़ुद से मगर दूर भगाते भी नहीं हैं

दिल से मैं किया करता हूँ उन लोगों की इज़्ज़त
जो नेकियाँ करते हैं जताते भी नहीं है

उन को भी सदा मुझ से मोहब्बत का है दावा
होंटों पे मिरा नाम जो लाते भी नहीं हैं

जिन तौर तरीक़ों को वफ़ा कहते हैं अब लोग
वो तौर तरीक़े हमें आते भी नहीं हैं

बस दर्द के तन्हाई के अश्कों से सिवा अब
आशिक़ यहाँ कुछ और तो पाते भी नहीं हैं

जिस तरह के अहबाब ख़ुदा ने दिए 'हैदर'
ऐसे मिरे रिश्ते मिरे नाते भी नहीं हैं
Read Full
Haidar Jafri
दिल तड़पता है मिरा हर दिन सहर होने के बा'द
मौत आ जाए न तेरे बिन सहर होने के बा'द

शाम तक फ़ुर्सत न तुझ को साँस लेने की मिले
आ के तकलीफ़ें मिरी तू गिन सहर होने के बा'द

रात आई आए मयख़ाने में काफ़िर हो गए
और फिर से बन गए मोमिन सहर होने के बा'द

नींद तो क्या चीज़ आँखें बंद भी हम ने न की
जब वो बोले आएँगे लेकिन सहर होने के बा'द

चैन दिल को आँख को ठंडक ख़िरद को ताज़गी
ने'मतें मिलना है ये मुमकिन सहर होने के बा'द

उन के दिल में मेरी उल्फ़त यूँ समाई जिस तरह
फूल में ख़ुशबू हुई साकिन सहर होने के बा'द

रात भर अश्कों को रोके मुस्कुराया था मगर
हो गया ज़ाहिर मिरा बातिन सहर होने के बा'द

ख़ौफ़ आता है मुझे 'हैदर' ज़माने से बहुत
आ के बन जा तू मिरा ज़ामिन सहर होने के बा'द
Read Full
Haidar Jafri
किस ने ये सोचा था 'हैदर' ऐसा भी हो सकता है
जिस को प्यार समझ बैठे वो धोका भी हो सकता है

ग़ैरों के हाथों में ख़ंजर ढूँड रहे हो आख़िर क्यों
जिस ने किया बर्बाद हमें वो अपना भी हो सकता है

साँसें लेना बस हो अलामत जीने की लाज़िम तो नहीं
दिल के अंदर झाँक के देखो मुर्दा भी हो सकता है

सारे जहाँ में बात मोहब्बत की जो करता फिरता है
उस के घर नफ़रत का अंधेरा फैला भी हो सकता है

तेरी महफ़िल तेरे बंदे हो जितना भी शोर मगर
हम महफ़िल में आएँ तो सन्नाटा भी हो सकता है

फिर से किसी को दिल में बसाऊँ फिर से किसी के दर्द सहूँ
ये दिल का आँगन है सूना सूना भी हो सकता है

आग लगाने से पहले ऐ काश वो इतना सोच भी ले
ये जो जला है ये मेरा सरमाया भी हो सकता है

'हैदर' सारा हाल मैं अपना कैसे ग़ज़ल में लिख डालूँ
फ़िक्र मुझे बस ये है कोई रुस्वा भी हो सकता है
Read Full
Haidar Jafri
जब रस्तों से इश्क़-ए-कामिल होता है
तब बंदा नज़दीक-ए-मंज़िल होता है

हमदर्दी है दिल में तो फिर राह दिखा
बस तन्क़ीदों से क्या हासिल होता है

हक़ की बातें उस की समझ में आती हैं
जिस बंदे के सीने में दिल होता है

रिश्तों से समझौता करना पड़ता है
वर्ना कौन किसी के क़ाबिल होता है

हैरत है वो जिस को हम से रब्त नहीं
दिल भी उस की जानिब माइल होता है

आज कहाँ इंसाफ़ का मंदिर मिलता है
आज कहाँ क़ाज़ी ही आदिल होता है

ख़ुद से तो नमरूद नहीं बनता कोई
असल में पूरा शहर ही बाबुल होता है

हम को तो हँसने की आदत है वर्ना
मुस्कानों में दर्द भी शामिल होता है

'हैदर' दिल में बसने वाला ही अक्सर
दिल के अरमानों का क़ातिल होता है
Read Full
Haidar Jafri
ये ज़िंदगी के तजरबात क़ीमती हैं बहुत
तुम्हारे पाक ख़यालात क़ीमती हैं बहुत

लिखे थे हम ने जो अश्कों की रौशनाई से
वो इश्क़ के भी मक़ालात क़ीमती हैं बहुत

इन्ही से होती है मेराज इश्क़ को हासिल
ये दर्द और ये जज़्बात क़ीमती हैं बहुत

निसाब-ए-इश्क़ में पूछे गए हैं जो अक्सर
जवाब छोड़ो सवालात क़ीमती हैं बहुत

हमारे जीने की ढारस यही बँधाती हैं
तुम्हारी यादों की बारात क़ीमती हैं बहुत

वो जिस के ख़्वाब में दीदार उन का हो जाए
क़सम ख़ुदा की वही रात क़ीमती है बहुत

वो बोल दे तो सभी कुछ लुटा के हम रख दें
ये सच है इन की हर इक बात क़ीमती है बहुत

हमारे अश्क यहाँ हैसियत नहीं रखते
तुम्हारे अश्कों की सौग़ात क़ीमती है बहुत

वो लम्हे जिन में हमें याद आप आ जाए
वही हयात के लम्हात क़ीमती हैं बहुत

ये जब भी आते हैं अश्कों को साथ लाते हैं
ये अश्क और ये बरसात क़ीमती हैं बहुत

हर इक सफ़्हे पे तेरा नाम लिख दिया 'हैदर'
इसी लिए मिरे सफ़्हात क़ीमती हैं बहुत
Read Full
Haidar Jafri