Jaleel Allahabadi

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@jaleel-allahabadi

Jaleel Allahabadi shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Jaleel Allahabadi's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Ghazal
हुसूल-ए-ग़म ब-अल्फ़ाज़-ए-दिगर कुछ और होता है
दिल-ए-बर्बाद का अज़्म-ए-सफ़र कुछ और होता है

तुलू-ए-सुब्ह की किरनें बहुत ही ख़ूब हैं लेकिन
जमाल-ए-शहर-ए-दिल वक़्त-ए-सहर कुछ और होता है

मसाइब किस को कहते हैं तुम्हीं जानो तुम्हीं समझो
जहाँ वालो हमारा दिल जिगर कुछ और होता है

शराब-ए-तल्ख़ क्या है ज़हर-ए-क़ातिल तक पिया हम ने
मगर इन मस्त नज़रों का असर कुछ और होता है

मुक़ाबिल आइने के आइना भी हम ने देखा है
घटाओं में मिरा रश्क-ए-क़मर कुछ और होता है

जहाँ पाबंदियाँ लाज़िम न हों सज्दा-गुज़ारों पर
इबादत के लिए वो संग-ए-दर कुछ और होता है

'जलील' अक्सर ये पाया इम्तियाज़-ए-इश्क़ में हम ने
इधर कुछ और होता है उधर कुछ और होता है
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Jaleel Allahabadi
मिरा अनीस मिरा ग़म है तुम न साथ चलो
तुम्हारा और ही आलम है तुम न साथ चलो

अजब तज़ाद का मौसम है तुम न साथ चलो
छुपाए शो'लों को शबनम है तुम न साथ चलो

ख़ुशी तो ग़र्क़-ए-ग़म-ए-रोज़गार है मेरी
लब-ए-हयात पे मातम है तुम न साथ चलो

हर एक मोड़ पे जलते हैं ग़ुर्बतों के चराग़
क़दम क़दम पे नया ग़म है तुम न साथ चलो

ज़मीन ख़ून उगलती है चर्ख़ अंगारे
निज़ाम-ए-दहर भी बरहम है तुम न साथ चलो

अभी जली तो है तहज़ीब-ए-नौ की शम्अ' मगर
अभी ये रौशनी मद्धम है तुम न साथ चलो

जिगर के ख़ूँ से बनाया है मैं ने सुर्ख़ जिसे
वो मेरे हाथ में परचम है तुम न साथ चलो

अभी बनाने हैं आईन दार-ओ-ज़िन्दाँ के
ये फ़र्ज़ हम पे मुक़द्दम है तुम न साथ चलो

हर एक तार लरज़ता है साज़-ए-हस्ती का
अजीब वक़्त का सरगम है तुम न साथ चलो

है चीरा दस्त-ए-ज़माना ये उन से कह दो 'जलील'
तुम्हारी ज़ुल्फ़ भी बरहम है तुम न साथ चलो
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