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बुजुर्गों की दी ये इकलौती दौलत छोड़ जाएँगे - Omkar Bhaskar

बुजुर्गों की दी ये इकलौती दौलत छोड़ जाएँगे
दो आँखों में बसे रहने की आदत छोड़ जाएँगे

दो आँखें, वो अदा, इक मुस्कुराहट जिस गली में हैं
उसी सकरी गली में हम मोहब्बत छोड़ जाएँगे

ये सारा जिस्म लेकर हम चले जाएँगे जब कल शब
तुम्हारे पास अपने दिल की तुर्बत छोड़ जाएँगे

करेगा याद मुझको ये ज़माना मेरे जाने पर
सभी के दिल में हम ऐसी मोहब्बत छोड़ जाएँगे

गरीबी का त'अल्लुक मेरे बच्चों से कभी ना हो
हम अपनी ज़िंदगी में इतनी उजरत छोड़ जाएँगे

हुआ ऐलान नौकरशाही के पेशे का हमको 'दास'
चले जो हम गये तो ख़ुद की किस्मत छोड़ जाएँगे

- Omkar Bhaskar

Mohabbat Shayari

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