हर जगह क्या ही था यार रुतबा मेरा
जब तलक यार तू हमसफ़र था मेरा
तेरे बारे में पूछे तो कहते हैं बस
ख़ूबसूरत था वो एक घाटा मेरा
जो भी था अपना वो सब गँवा बैठे हैं
कर के हर बात पर हम यूँ तेरा मेरा
मेरे हिस्से का भी ख़ुद का तू ध्यान रख
बाद तेरे नहीं कोई दूजा मेरा
बाप के मुँह से अच्छा लगा मिसरा ये
मुझ से आगे निकल जाए बेटा मेरा
तेरे जोकर ने भी काम वो कर दिया
जो नहीं कर सका यार इक्का मेरा
बाद मेरे वो मुझसा तलाशेगी दोस्त
देखना एक दिन होगा बोला मेरा
ज़िन्दगी कर के बर्बाद ख़ुद ही मेरी
वो तरस खा रही क्या ही होगा मेरा
कम सिपाही से भी जीत जाता मैं जंग
गर नहीं होता मुख़बिर जो कच्चा मेरा
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