एक कमरे सी ज़िंदगी मेरी
मेज़ कुर्सी से दोस्ती मेरी
मोहतरम जौन याद आते हैं
चीख़ती है ये ख़ामुशी मेरी
जौन को याद करता हूँ हरदम
अस्ल में है ये नौकरी मेरी
जौन को सुनना शेर कहना है
जौन से ही है आशिक़ी मेरी
जौन सा तजरबा नहीं है तो
उम्र कम होगी वाक़ई मेरी
आपके इल्म में इज़ाफ़ा हो
जौन पे लिक्खी शायरी मेरी
शहर में लोग कहते हैं पागल
जौन जैसी है ज़िन्दगी मेरी
मुस्कुराने लगे हैं ये पत्थर
जी अनोखी है बुतगरी मेरी
कहती है होंठों से लगाए हो
छीनी राधा ने बाँसुरी मेरी
बहर में शेर कहना सिखला दूँ
आप देखें ये रहबरी मेरी
बस ग़लत को ग़लत कहा था तो
हो गई उन से दुश्मनी मेरी
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