सभी उत्थान के मेरे हैं खुलते द्वार बहनों से
के माँ से स्वर्ग है लेकिन बने संसार बहनों से
विपत्ती आये कोई भी समक्ष भाई के जीवन में
कलाई पे बँधी राखी लगे तलवार बहनों से
वो लक्ष्मी है वो काली है वो चंडी है वो दुर्गा है
हमारे शून्य जीवन का हुआ विस्तार बहनों से
के हर संकट मे भाई के सदा तत्पर ख़डी रहती
तरी जो भाई है तो फिर बने पतवार बहनों से
वो प्रेमल मूर्त है घर की है देवी सी वो मंदिर की
सभी के भाग्य मे आया जो माँ सा प्यार बहनों से
Our suggestion based on your choice
As you were reading Shayari by Yaduvanshi Shubham
our suggestion based on Yaduvanshi Shubham
As you were reading Bahan Shayari