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सभी उत्थान के मेरे हैं खुलते द्वार बहनों से  - Yaduvanshi Shubham

सभी उत्थान के मेरे हैं खुलते द्वार बहनों से
के माँ से स्वर्ग है लेकिन बने संसार बहनों से

विपत्ती आये कोई भी समक्ष भाई के जीवन में
कलाई पे बँधी राखी लगे तलवार बहनों से

वो लक्ष्मी है वो काली है वो चंडी है वो दुर्गा है
हमारे शून्य जीवन का हुआ विस्तार बहनों से

के हर संकट मे भाई के सदा तत्पर ख़डी रहती
तरी जो भाई है तो फिर बने पतवार बहनों से

वो प्रेमल मूर्त है घर की है देवी सी वो मंदिर की
सभी के भाग्य मे आया जो माँ सा प्यार बहनों से

- Yaduvanshi Shubham

Bahan Shayari

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