जब तलक भी रहे रवानी में
हमने रस्ते बनाए पानी में
बूढ़ी आँखों में ख़ौफ़ पसरा है
क्या खताऐं हुई जवानी में
मेरा किरदार मर नही सकता
क़ेस हूँ इश्क़ की कहानी में
तुमने फूलों में नफ़रतें भर दीं
चन्द लम्हों की बाग़बानी में
ये मिरा ख़्वाब सच न हो जाए
शोले देखे भड़कते पानी में
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